Friday, October 12, 2007

merii aaNkhen

मेरी आँखें

याद कर के मेरी आँखों को,
किसी फूल को कभी चूम लो
इल्तिजा है मेरी, करम इतना ही फ़रमाए-
वो पल मेरे लिए, दम भर वहीं ठहर जाए।
के तेज़ धडकनों की आहटों को,
ज़रा छुपा लूं अपने ख्वाबों से;
जाने यूँ ही प्यार तुम्हे आया हो फूल पे
शर्मिंदा हो ना जाएँ कहीं,
आँखें मेरी, मेरे ख्वाबों से।

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