Wednesday, October 27, 2010

tera saath

तेरा साथ
उकता चुके थे रंग-ओ-बू की शोख़ियों से हम,
आँखों से तेरी फिर ग़ुलाब देखना, मैं क्या कहूँ

बदहवास पाक़बाज़ों से हो मेरे ख़ुदा की ख़ैर,
पलीत बच्चों को वो तेरा चूमना, मैं क्या कहूँ...