"कैसे किसी से कह दूं बातें वो प्यार की,
गुलाबी कलियों के जहान-ए-इज़हार की
शोख़ी नज़रों की, वो लहजे की खनक,
तल्खियाँ भी हाय वो ज़ुबान-ए-यार की..."
गुलाबी कलियों के जहान-ए-इज़हार की
शोख़ी नज़रों की, वो लहजे की खनक,
तल्खियाँ भी हाय वो ज़ुबान-ए-यार की..."
No comments:
Post a Comment