तेरा साथ
उकता चुके थे रंग-ओ-बू की शोख़ियों से हम,
उकता चुके थे रंग-ओ-बू की शोख़ियों से हम,
आँखों से तेरी फिर ग़ुलाब देखना, मैं क्या कहूँ
बदहवास पाक़बाज़ों से हो मेरे ख़ुदा की ख़ैर,
पलीत बच्चों को वो तेरा चूमना, मैं क्या कहूँ...
khaaq ko but, aur but ko devtaa kartaa hai ishq... intehaa yeh hai ke bande ko khudaa, kartaa hai ishq!
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