मेरी आँखें
याद कर के मेरी आँखों को,
किसी फूल को कभी चूम लो
इल्तिजा है मेरी, करम इतना ही फ़रमाए-
वो पल मेरे लिए, दम भर वहीं ठहर जाए।
के तेज़ धडकनों की आहटों को,
ज़रा छुपा लूं अपने ख्वाबों से;
जाने यूँ ही प्यार तुम्हे आया हो फूल पे
शर्मिंदा हो ना जाएँ कहीं,
आँखें मेरी, मेरे ख्वाबों से।
याद कर के मेरी आँखों को,
किसी फूल को कभी चूम लो
इल्तिजा है मेरी, करम इतना ही फ़रमाए-
वो पल मेरे लिए, दम भर वहीं ठहर जाए।
के तेज़ धडकनों की आहटों को,
ज़रा छुपा लूं अपने ख्वाबों से;
जाने यूँ ही प्यार तुम्हे आया हो फूल पे
शर्मिंदा हो ना जाएँ कहीं,
आँखें मेरी, मेरे ख्वाबों से।
No comments:
Post a Comment